
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जिस अपराध में अधिकतम सजा 10 वर्ष है, उसमें विचाराधीन अभियुक्त का छह वर्ष जेल में काट लेना और ट्रायल पूरा करने के लिए और समय मांगना न्याय के साथ मजाक है। अगर गवाह नहीं आ रहे हैं तो उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए ट्रायल कोर्ट के पास पर्याप्त शक्तियां हैं। वारंट अथवा गैर जमानती वारंट और कुर्की का आदेश देने का अधिकार है। कोर्ट ने यह टिप्पणी आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में लगभग छह वर्ष से जेल में बंद अनिकेत दीक्षित की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान की। साथ ही 31 अगस्त 2024 तक सुनवाई समाप्त करने का ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है।